नारद विचार: देश सेवा में शहादत किसी सैनिक की होती है, तो केंद्र हो या कोई भी राज्य की सरकार, शहीद के परिवार के लिए राहत का पिटारा खोलने में जरा भी देरी नहीं करती। ऐसा होना भी चाहिए, इसमें किसी को कोई संशय भी नहीं है। वहीं, देश के लोगों की सेवा में हर वक्त ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को ये हक़ क्यों नहीं मिलना चाहिए, ये विचारणीय प्रश्न है, जिसका कोई भी सरकार उत्तर नहीं देती है। जबकि, शहादत भले ही देश की सीमा पर हो या देश के भीतर, दोनों की ही शहादत नमन योग्य मानी जाती है, फिर पुलिसकर्मियों के लिए ऐसा क्यों नहीं होता। कुछ ऐसी ही पीड़ा बयां की राजस्थान पुलिस के ही एक इंस्पेक्टर ने। इंस्पेक्टर जितेंद्रसिंह ने एक वॉट्सएप ग्रुप में ही अपने दिल की भावनाओं को कुछ इस तरह बयां किया…

ऐसे में क्या ड्यूटी करते हुए शहीद होने वाले इन जवानों के परिवार के लिए सोशल मीडिया पर आमजन कोई मुहीम नहीं चला सकते? ये मुद्दा आज इसलिए, क्योंकि देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस की शाम जोधपुर कमिश्नरेट में ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात एक एएसआई को जानबूझकर कुचल दिया गया। ड्यूटी करते हुए शहादत देने वाले उन्हीं एएसआई भंवरलाल के लिए सही, एक शुरुआत तो हो…
ऐसे में चुप रहना सरासर गलत होगा…