पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्म दिवस पर आज ईद मिलादुन्नबी सादगीपूर्ण मनाई गई। कोरोना के कारण इस बार भी भव्य जुलूस नहीं निकालकर प्रतीकात्मक जुलूस निकाला गया। वहीं सम्मान समारोह भी नहीं हुआ। लोगों ने घरों में ही रहकर ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया। हालांकि ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर घरों और मस्जिदों को रंग बिरंगी रोशनी से जरूर सजाया गया। घरों में ही रह कर ईद-ए-मिलाद पर इबादत की गई। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह पर्व तीसरे महीने में मनाया जाता है। इस पर्व को सूफी या बरेलवी मुस्लिम अनुयायी मनाते हैं। इनके लिए यह दिन खास होता है। इस दिन को इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर यानी पैगंबर मोहम्मद की जयंती के तौर पर मनाया जाता है।
ईद मिलादुन्नबी जलसा समिति के प्रवक्ता नदीम बक्ष ने बताया कि अध्यक्ष उस्ताद हाजी हमीम बक्ष की सदारत में जश्ने आमदे रसूल जुलूस ए मुहम्मदी कोरोना गाइडलाइन के तहत उम्मेद स्टेडियम परिसर में देश में अमनो-शांति और वैश्विक महामारी कोरोना व डेंगू की निजात की दुआओं के साथ मनाया गया। इस दौरान उस्मानिया कुतुबखाना के मौलाना मोहम्मद अफजल, जलसा समिति के उस्ताद सलीम सैफी, उस्ताद अब्दुल वहीद खान, उस्ताद मोहम्मद रफीक कुरैशी, उस्ताद सुबराती खान अब्बासी, शौकत अली लोहिया, उस्ताद मोहम्मद शफी, उस्ताद आबिद छीपा, शमसुद्दीन चूंदडीघर, पार्षद इरफान बैली, पार्षद नदीम इकबाल, उस्ताद मोईनुद्दीन, रमजान अली पप्पू, अब्दुल अजीज पठान, रईस बक्ष, मोहम्मद एजाज, मोहम्मद फिरोज, बबली आलम, राजू इश्तियाक अली, रशीद जिन्दरान, उस्ताद सलीम शहजाद, उस्ताद नवाब अली शाह, निसार बाउजी, फैजान बक्ष, ताहिर खान, पिन्टू, सोनू मौजूद रहे। इसके बाद ईद मिलादुन्नबी जलसा समिति के मात्र कुछ पदाधिकारियों की मौजूदगी में एक खुली जीप व दो-चार मोटर साइकल के प्रतीकात्मक रूप में शांति के साथ सादगी का पैगाम देते हुए जुलूस निकाला जो उम्मेद स्टेडियम से रवाना होकर बम्बा, हाथीराम का ओढ़ा, सोजती गेट, एमजीएच रोड से होते हुए जालोरी गेट स्थित बड़ी ईदगाह ं पहुंचकर झंडे की रस्म के साथ इख्तिताम हुआ। जश्ने आमदे रसूल मौके पर मोहम्मद सलीम कादरी की स्मारिका के सिल्वर जुबली अंक दीनी ऐलान व नमाज की किताब का भी विमोचन किया गया।
मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सजावट की
मुस्लिम समाज ने पैगंबर साहब का जन्मदिन घरों में ही रहकर मनाया। पैगंबर साहब के जन्मदिन के मौके को खुशी से मनाने के लिए शहर के विभिन्न मोहल्लों को लाइटों, फरियों, गुबारों, हरे झंडों और बैनर-होर्डिंग्स से सजाया गया। लोगों ने घरों को सतरंगी रोशनी से सजाकर झंडे लगाए। सिवांची गेट, बंंबा, उदयमंदिर आसन, बकरामंडी, प्रतापनगर, चौखा सहित कई इलाकों में सजावट की गई। इसके साथ ही जरूरतमंदों व गरीबों को दान दिया और तकरीरें पढ़ी गई। साथ ही देश में अमन चैन के साथ कोरोना से मुक्ति की दुआ की गई। बता दे कि शहर में 42 साल पहले 1978 को ईद मिलादुन्नबी जलसा निकालने की शुरुआत हुई थी। तब पहली बार 59 लोग शामिल हुए। बाद में वर्ष 1999 में उस्ताद हाजी हमीम बक्श ने इस जुलूस को निकाला तो उस समय 15 हजार लोग शरीक हुए। पिछले कुछ वर्षों में जुलूस-ए-मोहम्मदी में सवा लाख लोग जुटते रहे हैं लेकिन कोरोना गाइडलाइन के मद्देनजर यह जुलूस दो साल से नहीं निकाला जा रहा है।
आपसी सद्भाव से रहने का पैगाम दिया
ईद मिलादुन्नबी जश्ने आमदे रसूल मेहबूब हजरत मुहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम की यौमे पैदाइश ईद मिलादुन्नबी के मौके पर सीरत कमेटी की ओर से आध्यात्मिक इस्लामी संस्थान दारूल दलूम इस्हाकिया के मुफ्ती ए आजम राजस्थान मुफ्ती शेर मोहम्मद रजवी ने जालोरी गेट स्थित बड़ी ईदगाह मस्जिद में कोरोना से सतर्क रहने और आपसी सद्भाव से रहने का पैगाम दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में कोरोना की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की एडवाइजरी की पालना के साथ बिना भीड़-भाड़ किए हम सब को मिलजुलकर, आपसी भाईचारे, कौमी एकता और शांतिपूर्ण सौहार्द व इस्लामी तहजीब के साथ ईद मिलादुन्नबी को मनाना है। प्रवक्ता शौकत अली लोहिया ने बताया कि इस दौरान मौलाना मोहम्मद हासिम काशिपूरी ने कहा कि हजरत मुहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने हमेशा समुदाय को एकजुटता के साथ मिलजुलकर रहने का संदेश दिया है। इस मौके पर पीर सैयद अजहर अली, मौलाना मोहम्मद आदम खान कादरी, शहर खतीब काजी मोहम्मद तैयब अंसारी, मौलाना मोहम्मद हुसैन अशरफी, इकबाल खान, शहर काजी वाहिद अली, मौलाना अली हुसैन, मौलाना अलीमुद्दीन कादरी, हाफिज मसीहुज्जमा, कारी मोहम्मद इकराम सहित सीरत कमेटी के मोहम्मद बसीर चिश्ती, आगा खान, मोहम्मद अयुब व मास्टर मोहम्मद हुसैन अंसारी आदि मौजूद थे।