हिस्ट्रीशीटर लवली कंडारा एनकाउंटर मामले में आखिरकार सरकार और पुलिस को झुकना पड़ गया। रविवार को चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद पुलिस व सरकार ने वाल्मिकी समाज की मांगे मान ली। पहले जिला कलेक्टर इन्द्रजीत सिंह, फिर पुलिस कमिश्नर जोस मोहन व पुलिस उपायुक्त भुवन भूषण के साथ वाल्मिकी समाज के प्रतिनिधि मण्डल की वार्ता में रातानाडा थानाधिकारी लीलाराम को निलम्बित करने का निर्णय किया गया। मुठभेड़ में साथ कांस्टेबल किशनसिंह, विश्वास व जितेन्द्र को भी निलम्बित किया गया।
इसके साथ ही अधिकांश मांगों पर सहमति बन गई। एनकाउंटर के संबंध में हत्या करने संबंधी शिकायत को रातानाडा थाने में दर्ज हत्या के प्रयास की पत्रावली में शामिल किया जाएगा। वहीं इस मामले की जांच सीआइडी सीबी जयपुर से कराई जाएगी। मृतक के शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम होगा। मृतक के आश्रित को 25 लाख रुपए मुआवजा व सरकारी नौकरी संबंधी मांग का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा जाएगा।
इससे पहले आज सुबह कलेक्ट्रेट में जिला कलेक्टर से मीटिंग के बाद मांगे मानने की बात सामने आई थी। उस समय वाल्मिकी समाज ने मांगे मानने की घोषणा कर दी लेकिन बाद में पुलिस कमिश्नर से बात के बाद मांगे मानने की बात सामने आई। डीसीपी से बात करने पर उन्होंने कहा कि समाज की मांगे मान ली गई है।
बेनीवाल दूसरे दिन भी धरनास्थल पर आए
इससे पहले रालोपा सुप्रीमो व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल एक बार फिर मथुरादास माथुर अस्पताल की मोर्चरी के बाहर चल रहे धरनास्थल पहुंचे, जहां उन्होंने एनकाउंटर को लेकर राज्य सरकार व पुलिस की आलोचना की। साथ ही मांगें न मानने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। उनका कहना था कि सिर्फ पीडित परिवार को न्याय दिलवाना चाहते है इसलिए यहां आए है। उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि लवली के भाई मोंटू कंडारा का पुलिस एनकाउंटर ना कर दें। बता दें कि बुधवार शाम रातानाडा एसएचओ लीलाराम के जवाबी फायर में लवली कंडारा की मौत हो गई। तब से वाल्मीकि समाज मथुरादास माथुर अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठे थे।