दिनेश रामावत
सागर के बीचों-बीच क्रूज में नशे की पार्टी एनसीबी के लिए मुसीबत बन गई है। महाराष्ट्र की सरकार में भागीदार शरद पवार की एनसीपी को एनसीबी से बेहिसाब शिकायतें हैं। एनसीपी को अफसोस है कि शाहरुख खान के बेटे आर्यन के साथ क्रूज से पकड़े गए कुल ग्यारह नशेडिय़ों में से तीन रसूखदारों को क्यों छोड़ दिया गया। एनसीबी को एनसीपी की इस शिकायत पर बकायदा प्रेस कांफ्रेंस तक करनी पड़ी। सफाई देनी पड़ी कि एनसीपी के आरोप बेबुनियाद हैं। इधर एनसीपी कोटे से सरकार में मंत्री नवाब मलिक का आरोप है कि दिल्ली और मुंबई के दिग्गज नेताओं के फोन की घंटियां घनघनाते ही एनसीबी के आला अफसरों की चूलें हिल गईं। आनन-फानन में उन तीन रसूखदारों को एनसीबी दफ्तर के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। एनसीपी नेता को इसी बात का अफसोस है कि ऐसा क्यूंकर हुआ।
जबकि, कहानी के दूसरे पहलू में है शाहरुख का आर्यन और उसके नशेड़ी दोस्त। जो दो-तीन रोज एनसीबी दफ्तर में नशे की पार्टी से जुड़े सवालों से दो-चार होते रहे। फिर लगा कि नामवर वकील की दलीलें रंग दिखाएंगी और आर्यन अपनी मां के जन्मदिन के तोहफे की शक्ल में सीधे ‘मन्नत’ में दाखिल हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तमाम ‘मन्नतें’ बेअसर रहीं। शाहरुख का चिराग एनसीबी दफ्तर के रास्ते सीधे आर्थर रोड जेल की बैरक में पहुंच गया। शाहरुख और उसके कुनबेदारों को इसका रत्ती भर भी अहसास नहीं था। जो सोचा था, हुआ ठीक उलट। खान परिवार को अपने लाल पर कम लेकिन नामवर वकील पर ऐतबार कहीं ज्यादा था। लेकिन न्यायिक हिरासत में भेजने के फरमान के तत्काल बाद जमानत की अर्जी जिस रफ्तार से दायर की गई, उसी रफ्तार से लौट भी आई। अगले दिन फिर से जमानत की अर्जी दाखिल की तो अदालत से पता चला कि जमानत की अर्जी पर सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी, यहां नहीं। नामवर वकील फिर गच्चा खा गए। उम्मीदें फिर तार-तार हो गईं।
इतना ही नहीं, शनिवार और इतवार की छुट्टी ने आग में घी का काम किया। और तो और एनसीबी ने अपनी जांच का दायरा क्या बढ़ाया, खान कुनबे की सांसें फूलने लगीं। कई और नए ड्रग पेडलर तक एनसीबी के हाथ पहुंचते ही आर्यन की जल्दी ‘घरवापसी’ की राह में कई नए रोड़े खड़े हो गए। इन सबके बीच ‘बायजूज क्लासेस’ वालों की नींद उड़ी। आव देखा न ताव, बायजूज के ब्रांड अंबेसेडर शाहरुख खान को टीवी के पर्दे से भी रुखसती लेनी पड़ी। उधर यूएई के क्रिकेट मैदान से भी शाहरुख के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है। टी-20 के सेकेंड हाफ में खेल रही केकेआर मैदान मारने के इरादे से पिछड़ती दिख रही है।
शाहरुख की मुसीबत यहीं तक नहीं हैं, क्योंकि रेड चिली के हाल भी इन दिनों कोई खासे अच्छे नहीं हैं। ओटीटी प्लेटफार्म पर सितारों और फिल्मकारों की भीड़ में रेड चिली को भी खासी मिर्ची लगी है। अब इसे क्या कहें, ‘मन्नत’ को किसी की नजर लग गई है? जी नहीं। किसी को किसी की कोई नजर नहीं लगी है। यूं कहें तो बेहतर कि असल में खुद शाहरुख ने नजरें बंद कर रखीं थी। साहबजादे नशे के शिकार हो रहे थे तो आप क्या कर रहे थे। नवाब के दोस्त कौन हैं, कैसे हैं, क्या करते हैं, कुछ तो इल्म रखा होता। बेटी सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही है और नवाबजादे नशे की महफिलों की शान बढ़ा रहे हैं। परिवार के मुखिया होने के नाते आपके क्या फर्ज थे? आपने क्यों नजरें फेर रखी थीं? क्यों सही वक्त पर सही फैसले नहीं लिए?
लेकिन पूरे ऐपिसोड में कई नए समीकरण भी देखने में आए। महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार के एक धड़े को जहां एनसीबी से कई शिकायतें हैं, वहीं शेष दलों को ड्रग की दाल में कुछ काला नहीं लग रहा। अब तक न शिवसेना कुछ बोली, न कांग्रेस। एनसीपी के ‘राग एनसीबी’ में कांग्रेस-शिवसेना से कोई राग नहीं है। प्रदेश की गठबंधन सरकार के तीन दलों के इससे पहले भी अलग-अलग सुर और ताल देखे-सुने गए हैं। इसमें नया कुछ भी नहीं है।